जब से कामनवेल्थ गेम्स में भ्रष्टाचार का खुलासा होना शुरू हुआ है। देश का हर व्यक्ति सहम सा गया है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि उनकी खून-पसीने की कमाई को कलमाड़ी एंड कंपनी ने कैसे अपनी तिजोरियों में बंद करने का प्लान बनाया। आज देश का बच्चा-बच्चा जानने लगा है कि कामनवेल्थ गेम्स में किस तरह का भ्रष्टाचार हो रहा है। उसके बावजूद सुरेश कलमाड़ी ने यह कहकर देश को शर्मसार कर दिया कि यदि सोनिया गांधी चाहेंगी तभी वे इस्तीफा देंगे, अन्यथा वे यूं ही देश के 110 करोड़ लोगों का खून चूसते रहेंगे। उनका यह ऐलान देश को हिला देने वाला है। उनका इशारा साफ है कि देश से यादा महत्वपूर्ण सोनिया गांधी है। जब तक सोनिया गांधी का साथ है, मीडिया हो या विपक्ष कलमाड़ी का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता।
इस मुद्दे पर रोज हंगामा हो रहा है, लेकिन न तो प्रधानमंत्री को इसकी चिंता है और न ही सोनिया गांधी को कोई फर्क पड़ता है। यही वजह है कि आयोजन समिति से जुड़े चार पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाकर कलमाड़ी को क्लीन चिट देने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। कलमाड़ी कोई छोटा-मोटा आदमी नहीं है, बल्कि वे पश्चिम भारत में मारूति और बजाज वाहनों की सबसे बड़ी एजेंसी के मालिक हैं। वे खेल संघों को उद्योग की तरह चलाते हैं।
कामनवेल्थ गेम्स कलमाड़ी एंड कंपनी के लिए कमाई का एक बढ़िया जरिया बन गया था। आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, जिन्होंने टेनिस स्टेडियम में सिंथेटिक कोर्ट बिछाने का कार्य अपने ही पुत्र की कंपनी को दे दिया था। उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा देना पड़ा।
वो तो भला हो मानसूनी बारिश का, जिसकी वजह से स्टेडियम का छत टपकने लगा और शुरू हुआ भ्रष्टाचार और घोटालों के राजफाश होने का सिलसिला। दिल्ली में यदि जमकर बारिश नहीं होती, तो कामनवेल्थ गेम्स से जुड़े भ्रष्ट लोगों की पोल ही नहीं खुल पाती। केंद्रीय सत्ताधीशों के संरक्षण में पल रहे भ्रष्टाचारियों का पेट इतना बड़ा है कि अरबों रूपए डकार जाने के बाद भी उनके मुंह उफ तक नहीं निकलता। अधिकांश खेल संघों में अभी भी सालों से राजनीतिज्ञ काबिज हैं। कलमाड़ी खुद कांग्रेसी नेता हैं और पिछले 20 सालों से एथलेटिक फेडरेशन पर काबिज हैं वहीं 14 सालों से ओलिपिंक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। इस देश में जब हर पांच साल में जनप्रतिनधि बदले जाने का नियम है। तो फिर उन्हें इतने सालों से आम आदमी का खून चूसने के लिए कैसे छोड़ दिया गया,यह समझ से परे है।
मुझे लगता है कि इस मामले में केंद्र सरकार भी उतनी ही दोषी है, जितना कलमाड़ी एंड कंपनी। यदि ऐसा नहीं होता तो देश में खेलों के देखरेख के लिए सांसदों की उच्चस्तरीय समिति बनाने की मांग केंद्र सरकार नहीं ठुकराती और न ही कलमाड़ी गरजकर ये कह पाते कि उन्हें सोनिया गांधी या प्रधानमंत्री कहेंगे तभी इस्तीफा देंगे। मेरा मानना है कि अब वक्त आ गया है कि जब भ्रष्टाचार को भी हत्या के बराबर या उससे बड़ा अपराध मानकर दोषियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान करना चाहिए। भ्रष्टाचार को हमारे देश में हल्के से लिया जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह भ्रष्टाचारियों के लिए कोई ठोस कानून का न होना है। जब एक व्यक्ति की हत्या करने पर फांसी की सजा का प्रावधान है तो कई लोगों का जीवन बरबाद करने वाले भ्रष्टाचारियों को महज कुछ सालों की सजा क्यों। यदि भ्रष्टाचार की वजह से कलमाड़ी के चार साथियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है तो सोनिया गांधी या प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे इन भ्रष्टाचारियों के लीडर को न सिर्फ ओलंपिक संघ से हटाएं, बल्कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच भी कराएं, ताकि 110 करोड़ भारतीयों के साथ न्याय हो सके।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठायें
ललित सिंह (अखिल भारतीय नौजवान सभा)
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